लेखनी प्रतियोगिता -03-Jul-2022 - फुलवारी
फुलवारी
प्रेम से खिलती हैं जग में फुलवारी,
इत्र सी महकती बागों में हर क्यारी।
रंग बिरंगे फूल खिल जाते हो जिसमें,
बहारों में करें वो इंद्रधनुष पर सवारी।
रात की हो रानी या हो दिन का राजा,
फूलों के सेहरे संग बजता बैंड बाजा।
गुलाब व गुड़हल के लाल लाल फूल,
महफिल को बना जाते हैं ये तरोताजा।
फूलों की किस्में कई होती फुलवारी में,
सदा यह लगे रहते यहां अकवारी में।
बागों से निर्मल शीतल मिलती है छाया,
बसंत सा होता मौसम हर कावारी में।
सदाबहार पुष्प जब यहां पर खिल जाता,
मानों जीवन को नया रंग है मिल जाता।
जीने का ढंग फुलवारी हमें सिखाती है,
जख्म भरा दिल भी इनसे है सिल जाता।
फुलवारी देती तड़पते मन को भी राहत,
दिल को हैं फूलों सा खिलने की चाहत।
आंखों को सुकून मिलता फुलवारी से,
उजाड़ इसे न करों प्रकृति को आहत।।
अकवारी - स्वार्थहीन
कावारी - बिना डंडे का छाता
#दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Pallavi
05-Jul-2022 03:17 PM
बहुत खूबसूरत
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Shrishti pandey
04-Jul-2022 09:10 PM
Nice
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Punam verma
04-Jul-2022 08:00 AM
Nice
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